लिवर खराब होने के लक्षण : जानिए संकेत और कारण
लिवर, हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन, विषहरण (डिटॉक्सिफिकेशन), और मेटाबॉलिज्म में अहम भूमिका निभाता है। यदि लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो यह शरीर पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लिवर खराब होने के लक्षण शुरुआती चरण में हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय पर ध्यान न दिए जाने पर यह गंभीर बीमारियों का रूप ले सकता है।
इस लेख में हम लिवर खराब होने के प्रमुख लक्षणों, कारणों, और उपचार के बारे में जानकारी देंगे।
लिवर खराब होने के प्रमुख लक्षण
- थकान और कमजोरी: लिवर की खराबी के सबसे आम लक्षणों में से एक है अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस करना। जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिल पाती, जिससे व्यक्ति हमेशा थका-थका महसूस करता है।
- भूख न लगना: लिवर खराब होने पर व्यक्ति की भूख कम हो जाती है। पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है और भोजन खाने की इच्छा नहीं होती। यह लक्षण शुरुआती चरणों में ही दिखने लगता है।
- पेट में सूजन और दर्द: लिवर की खराबी के कारण पेट में सूजन या दर्द महसूस हो सकता है, खासकर पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में। लिवर बढ़ने के कारण पेट में असहजता होती है।
- पीलिया (जॉन्डिस): पीलिया लिवर की समस्याओं का एक बड़ा संकेत है। इसमें त्वचा, आंखें, और नाखून पीले हो जाते हैं। यह लिवर द्वारा बिलीरुबिन को ठीक से संसाधित न कर पाने के कारण होता है, जो शरीर में जमा हो जाता है और पीलापन लाता है।
- मल और मूत्र में परिवर्तन: लिवर की खराबी के कारण मल का रंग हल्का या सफेद हो सकता है, जबकि मूत्र का रंग गहरा पीला या भूरा हो सकता है। यह लिवर के कार्यों में गड़बड़ी का संकेत होता है।
- त्वचा पर खुजली: लिवर की समस्याओं के कारण शरीर में बाइल सॉल्ट्स जमा हो जाते हैं, जिससे त्वचा पर खुजली हो सकती है। यह खुजली अक्सर बिना किसी अन्य कारण के होती है और काफी असहज हो सकती है।
- पैरों और टखनों में सूजन (एडिमा): लिवर खराब होने पर पैरों, टखनों, और पैरों में सूजन हो सकती है। यह सूजन लिवर द्वारा प्रोटीन के सही स्तर को बनाए न रख पाने के कारण होती है, जिससे शरीर में तरल पदार्थ जमा हो जाता है।
- ब्लड क्लॉटिंग में समस्या: लिवर खराब होने पर ब्लड क्लॉटिंग (रक्त का थक्का जमने की प्रक्रिया) की समस्या हो सकती है। लिवर द्वारा बनाए जाने वाले कुछ प्रोटीन ब्लड क्लॉटिंग में मदद करते हैं, और जब लिवर ठीक से काम नहीं करता, तो यह प्रक्रिया प्रभावित होती है।
- मानसिक भ्रम (हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी): लिवर खराब होने पर विषाक्त पदार्थों का शरीर से निष्कासन नहीं हो पाता, जिससे दिमाग पर असर पड़ सकता है। यह मानसिक भ्रम, स्मृति की समस्या, ध्यान की कमी, और असामान्य व्यवहार के रूप में दिख सकता है।
- वजन कम होना: लिवर खराब होने के कारण व्यक्ति का वजन अचानक कम हो सकता है। यह भूख में कमी और पाचन तंत्र की समस्याओं के कारण होता है।
लिवर खराब होने के कारण
- शराब का अत्यधिक सेवन: लंबे समय तक शराब का अत्यधिक सेवन लिवर की कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिससे लिवर सिरोसिस या लिवर फेल्योर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- वायरल हेपेटाइटिस: हेपेटाइटिस A, B, C, D, और E जैसी वायरल बीमारियां लिवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनमें से हेपेटाइटिस B और C खासकर लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण बन सकती हैं।
- फैटी लिवर डिजीज (NAFLD और AFLD): फैटी लिवर डिजीज, जिसमें लिवर में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है, एक प्रमुख कारण है। यह दो प्रकार की हो सकती है:
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD): बिना शराब के सेवन के फैट जमा होना।
- अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD): शराब के कारण लिवर में फैट का जमा होना।
- ऑटोइम्यून डिजीज: कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां, जैसे ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से लिवर की कोशिकाओं पर हमला करती है।
- दवाओं और केमिकल्स का अत्यधिक सेवन: कई बार कुछ दवाइयों या केमिकल्स का लंबे समय तक इस्तेमाल लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, और एंटीफंगल दवाइयां लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- अनुवांशिक विकार: कुछ अनुवांशिक विकार, जैसे विल्सन डिजीज और हेमोक्रोमेटोसिस, लिवर में तांबा या आयरन की अत्यधिक मात्रा जमा होने से लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
लिवर की बीमारियों से बचाव के उपाय
- स्वस्थ आहार: संतुलित आहार का सेवन करें जिसमें ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और स्वस्थ वसा शामिल हों। फैट और शुगर की अधिक मात्रा से बचें।
- शराब का सेवन सीमित करें: शराब का सेवन कम से कम रखें, क्योंकि इसका अत्यधिक सेवन लिवर सिरोसिस का कारण बन सकता है।
- व्यायाम करें: नियमित व्यायाम शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारता है और फैटी लिवर डिजीज को रोकने में मदद करता है।
- हेपेटाइटिस का टीका लें: हेपेटाइटिस B और A के खिलाफ टीकाकरण करवाना लिवर की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
- दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें: किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें, और दवाइयों की अत्यधिक मात्रा से बचें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें: वायरस से बचने के लिए हाथों को धोने की आदत डालें और दूषित भोजन और पानी से बचें, खासकर हेपेटाइटिस A और E से।
निष्कर्ष
लिवर खराब होने के लक्षण समय पर पहचान लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि लिवर की बीमारियां गंभीर हो सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, और नियमित व्यायाम करके लिवर की बीमारियों से बचा जा सकता है।
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