वेवलाइट प्लस इनोवआईज ऑपरेशन सिस्टमब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे

ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे:- आजकल डिजिटल युग में हम सभी दिनभर कंप्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं। इन सभी उपकरणों की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) आंखों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसके परिणामस्वरूप आंखों में थकान, जलन और नींद की कमी जैसी समस्याएं होती हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या यह वास्तव में प्रभावी होते हैं? डॉ. रहील चौधरी, एक प्रसिद्ध नेत्र विशेषज्ञ, इस पर विस्तार से जानकारी देते हैं।

ब्लू लाइट, प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों स्रोतों से आती है। सूरज की रोशनी इसका सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यह रोशनी 380nm से 500nm तक की वेवलेंथ पर होती है, और इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव 415nm से 455nm के बीच होता है।

डॉ. रहील चौधरी बताते हैं कि लंबे समय तक ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से आंखों पर तनाव बढ़ सकता है, जिसे “डिजिटल आई स्ट्रेन” कहते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

  • आंखों में थकान और जलन
  • धुंधला देखना
  • सिर दर्द
  • नींद की कमी

यह नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को कम करती है, जो नींद को नियंत्रित करने वाला हार्मोन है। यही कारण है कि रात में स्क्रीन के अधिक उपयोग से नींद की समस्या हो सकती है।

ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे विशेष रूप से डिजाइन किए गए होते हैं ताकि वे 415nm से 455nm वेवलेंथ की नीली रोशनी को अवरुद्ध कर सकें। इन चश्मों के लेंस में एक कोटिंग होती है जो हानिकारक नीली रोशनी को आंखों तक पहुंचने से रोकती है। इसका मुख्य उद्देश्य आंखों को आराम देना और नीली रोशनी के दीर्घकालिक प्रभावों से बचाना होता है।

डॉ. चौधरी के अनुसार, ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखना जरूरी है:

  1. आंखों की थकान कम करने में मददगार: कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि यह चश्मे डिजिटल आई स्ट्रेन को कम करने में मदद करते हैं। यदि आप लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करते हैं तो यह चश्मे आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
  2. नींद में सुधार: ब्लू लाइट मेलाटोनिन उत्पादन को प्रभावित करती है, जो नींद के पैटर्न को बिगाड़ सकता है। ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे नींद में सुधार कर सकते हैं, खासकर अगर आप रात में स्क्रीन का उपयोग करते हैं।
  3. दीर्घकालिक सुरक्षा: ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे का नियमित उपयोग करने से आंखों को दीर्घकालिक नुकसान से बचाने में मदद मिल सकती है, हालांकि इस पर और भी शोध की जरूरत है।

डॉ. रहील चौधरी मानते हैं कि हर व्यक्ति को इन चश्मों की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आप दिन के समय में पर्याप्त रूप से प्राकृतिक रोशनी में रहते हैं और रात में स्क्रीन का सीमित उपयोग करते हैं, तो आपको इसकी ज़रूरत नहीं हो सकती। हालांकि, जिन लोगों का पेशा कंप्यूटर या अन्य डिजिटल डिवाइसेस से जुड़ा है, उनके लिए यह चश्मे मददगार हो सकते हैं।

ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे के अलावा, आप अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए कुछ और कदम भी उठा सकते हैं:

  1. 20-20-20 नियम अपनाएं: हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें।
  2. स्क्रीन टाइम कम करें: खासकर सोने से पहले स्क्रीन का उपयोग सीमित करें।
  3. स्क्रीन की ब्राइटनेस कम करें: स्क्रीन की ब्राइटनेस को एडजस्ट करके आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  4. रात में स्क्रीन मोड का उपयोग करें: स्मार्टफोन और कंप्यूटर में नाइट मोड या ब्लू लाइट फ़िल्टर का उपयोग करें।

ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे डिजिटल युग में एक उपयोगी उपकरण हो सकते हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक स्क्रीन का उपयोग करते हैं। डॉ. रहील चौधरी के अनुसार, इन चश्मों का उपयोग आंखों की थकान को कम करने और नींद में सुधार लाने में मदद कर सकता है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम स्क्रीन के उपयोग को नियंत्रित करें और आंखों की सुरक्षा के अन्य उपायों को भी अपनाएं।

इसलिए, यदि आप डिजिटल आई स्ट्रेन से पीड़ित हैं या नींद की समस्याएं अनुभव कर रहे हैं, तो ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मे आपके लिए एक प्रभावी समाधान हो सकते हैं।

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