पीलिया क्या हैपीलिया क्या है

पीलिया के उपचार: कारणों के अनुसार इलाज

पीलिया क्या है :- पीलिया (जॉन्डिस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा, आंखों का सफेद भाग, और शरीर के अन्य हिस्सों का रंग पीला हो जाता है। यह मुख्य रूप से लिवर, गॉल ब्लैडर, या पित्ताशय (बाइल डक्ट्स) की समस्याओं के कारण होता है, क्योंकि शरीर में बिलीरुबिन (एक पीला रंग देने वाला पदार्थ) की मात्रा बढ़ जाती है। पीलिया का उपचार इसके मूल कारण पर निर्भर करता है। यहां हम पीलिया के उपचार के विभिन्न तरीकों को विस्तार से समझेंगे, जो कि इसके प्रकार और कारणों पर आधारित होते हैं।

पीलिया के उपचार के प्रकार

  1. दवाओं के द्वारा उपचार
    • हेपेटाइटिस-जनित पीलिया: यदि पीलिया का कारण वायरल हेपेटाइटिस है, तो डॉक्टर एंटी-वायरल दवाओं या स्टेरॉयड्स का उपयोग कर सकते हैं। हेपेटाइटिस A और E में आमतौर पर किसी विशेष चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये वायरस शरीर से स्वतः ही निकल जाते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस B और C जैसी गंभीर स्थितियों में एंटी-वायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है।
    • इंफेक्शन या सूजन से संबंधित पीलिया: बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण पीलिया होने पर एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है। यह संक्रमण को नियंत्रित करता है और पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  2. लिवर के लिए विशिष्ट उपचार
    • लिवर सिरोसिस: यदि लिवर सिरोसिस (लिवर की कोशिकाओं का स्थायी रूप से नष्ट होना) पीलिया का कारण है, तो लिवर ट्रांसप्लांट या दवाओं का सहारा लिया जाता है। लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों, जैसे शराब का सेवन और हेपेटाइटिस संक्रमण, को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
    • फैटी लिवर डिजीज: यदि फैटी लिवर डिजीज पीलिया का कारण है, तो वजन घटाना, सही आहार, और शराब से परहेज करना आवश्यक होता है। इसके साथ ही, लिवर को सही ढंग से काम करने के लिए दवाओं की भी जरूरत हो सकती है।
  3. सर्जरी और अन्य चिकित्सा उपाय
    • गॉल स्टोन (पित्ताशय में पथरी): यदि पीलिया का कारण गॉल स्टोन (पित्त की नली में पथरी) है, तो सर्जरी के द्वारा पथरी को निकालना आवश्यक हो सकता है। यह प्रक्रिया लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से की जा सकती है।
    • ट्यूमर या ब्लॉकेज: अगर लिवर, गॉल ब्लैडर, या पित्ताशय में किसी प्रकार की रुकावट या ट्यूमर के कारण पीलिया हो रहा है, तो सर्जरी द्वारा उसे हटाना आवश्यक होता है। कभी-कभी कैंसर के कारण भी पीलिया हो सकता है, जिसे सर्जिकल, रेडिएशन, या केमोथैरेपी द्वारा ठीक किया जाता है।
  4. लाइफस्टाइल में बदलाव और आहार संबंधी सुधार
    • आहार सुधार: लिवर की सेहत को बनाए रखने के लिए उचित आहार का सेवन करना आवश्यक है। फैट्स, तला-भुना खाना, और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें। ताजे फल, हरी सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन करें।
    • हाइड्रेशन: पीलिया के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
    • शराब का सेवन बंद करें: यदि पीलिया का कारण शराब का अत्यधिक सेवन है, तो शराब को तुरंत बंद करना आवश्यक होता है। यह लिवर की रिकवरी में मदद करेगा।
  5. घरेलू उपचार और आयुर्वेदिक उपायकुछ प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय पीलिया के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, घरेलू उपाय चिकित्सा उपचार का विकल्प नहीं होते हैं, लेकिन सहायक भूमिका निभा सकते हैं।
    • नीम के पत्ते: नीम के पत्तों का सेवन लिवर के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसका जूस पीलिया में मदद कर सकता है।
    • गन्ने का रस: गन्ने का रस पीलिया के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह शरीर को हाइड्रेट करता है और लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
    • हल्दी: हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो लिवर की सूजन को कम कर सकते हैं। हल्दी का सेवन पीलिया के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकता है।
    • अमृतधारा: आयुर्वेद में पीलिया के लिए अमृतधारा का भी उपयोग किया जाता है। यह पाचन तंत्र को सुधारने और पित्त विकारों को ठीक करने में मदद करता है।
  6. नवजात शिशुओं में पीलिया का उपचारनवजात शिशुओं में पीलिया (नियोनैटल जॉन्डिस) एक आम समस्या है। इसका उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
    • फोटोटैरेपी: शिशुओं में बिलीरुबिन के स्तर को कम करने के लिए विशेष नीली रोशनी का उपयोग किया जाता है। यह फोटोटैरेपी बिलीरुबिन को तोड़कर शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है।
    • ब्रेस्टफीडिंग: शिशुओं को मां का दूध पिलाने से उनकी पाचन क्रिया बेहतर होती है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर नियंत्रित होता है।
    • ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन: अगर फोटोटैरेपी से कोई फर्क नहीं पड़ता और बिलीरुबिन का स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो डॉक्टर ब्लड एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन का सहारा लेते हैं, जिसमें शिशु का खून बदल दिया जाता है।

पीलिया से बचाव के उपाय

  1. हेपेटाइटिस का टीकाकरण: हेपेटाइटिस A और B जैसी वायरल बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण करवाना जरूरी है।
  2. स्वच्छ पानी और भोजन का सेवन: दूषित पानी और अस्वच्छ भोजन से हेपेटाइटिस A और E फैल सकते हैं, इसलिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  3. शराब का सीमित सेवन: शराब लिवर के लिए हानिकारक होती है। इसे सीमित मात्रा में या पूरी तरह से छोड़ना पीलिया से बचाव में मदद कर सकता है।
  4. संक्रमण से बचाव: किसी भी प्रकार के वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखें, और हाथ धोने की आदत डालें।
  5. संतुलित आहार: पौष्टिक और संतुलित आहार लें, जिसमें विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा हो। यह लिवर को स्वस्थ रखता है और पीलिया से बचाव करता है।

निष्कर्ष

पीलिया का उपचार उसके कारण पर निर्भर करता है। सही समय पर चिकित्सा परामर्श और उचित उपचार से पीलिया का पूरी तरह से इलाज संभव है। घरेलू उपाय और आहार संबंधी सुधार इस बीमारी के उपचार में सहायक हो सकते हैं, लेकिन किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आपको पीलिया के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

Myl 45 Herbs KE FAYEDE OR NUKSAN KYA ISE LENA CHAHIYE

MYL Dybo Care Juice :- KYA HAIN ISKE FAYEDE OR NUKSAN -2024

लिवर खराब होने के लक्षण: जानिए संकेत और कारण